Saturday, January 13, 2018

तुम नहीं होती तो क्या जहाँ होता?

तुम नहीं होती तो क्या जहाँ होता?
ये ज़मीं होतीआसमाँ होता!

वही सागर होता, किनारा होता
चाँद होता, हर तारा होता
दिल का यह सितारा कहाँ होता?     
        
सुबह होतीशाम होती,
दिन होतारात होती,
साथ जो गुज़रे लम्हा कहाँ होता?

जवाब होतासवाल होता,
ख्वाब होताख़याल होता,
ज़िक्र से बनता जो समा कहाँ होता?

जाम होताशराब होती,
अच्छी होतीखराब होती,
इश्क़ का पर यह नशा कहाँ होता?

गाँव होताशहर होता,
डगर होतासफ़र होता,
साथ जो देखें नज़ारा कहाँ होता?

चोट होतीज़ख़्म होता,
हकीम होतामरहम होता,
एहसास तुम्हारी छुअन का कहाँ होता?

कहानी होतीफ़साना होता,
दीवानी होतीदीवाना होता,
मेरा तुम्हारा यह किस्सा कहाँ होता?

तुम नहीं होती तो क्या जहाँ होता?
ये ज़मीं होतीआसमाँ होता!


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