Friday, January 29, 2016

यह वक़्त भी बदलेगा

यह लड़खड़ाता कदम फिर से संभलेगा
यह गिरता होसला फिर से उछलेगा
                             यह वक़्त भी बदलेगा

आँधी भयानक आती है तो जाती भी है
साथ क़यामत लाती है तो सिखाती भी है
हर चोट उभरेगी हर ज़ख़्म भरेगा
                             यह वक़्त भी बदलेगा

ये जो अँधियारें हैं ये कल ना रहेंगे
हर बारिश के साथ कुछ बादल हटेंगे
हर आस कहेगी हर आँसू कहेगा
                             यह वक़्त भी बदलेगा

यह फैलता सैलाब फिर से थमेगा
यह बिगड़ता हालात फिर से सुधरेगा

                             यह वक़्त भी बदलेगा

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किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...