तुझ से कोई शिकवा नहीं
जुदा हूँ पर मैं खफा नहीं
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
बेसब्र हालातों में जब
बे -आबरू हम तुम मिले
रुशवाई की आलम में भी
बनते चले जो सिलसिले
मंजिल से थे हम बेखबर
नज़र में थी तो बस डगर
ख्वाबों का था जो कारवां
निगाहों का कसूर था
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
मझधार से जो लौट ते
तूफ़ान से यूँ न जूझते
दामन छुड़ा ने अश्क से
पलकों को यूँ न मूंदते
घेरे पे शक के हर दफा
आती नहीं तेरी वफ़ा
थी चाँद की तलाश जो
सितारों का कसूर था
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
तुझ से कोई शिकवा नहीं
जुदा हूँ पर मैं खफा नहीं
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें
जुदा हूँ पर मैं खफा नहीं
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
बेसब्र हालातों में जब
बे -आबरू हम तुम मिले
रुशवाई की आलम में भी
बनते चले जो सिलसिले
मंजिल से थे हम बेखबर
नज़र में थी तो बस डगर
ख्वाबों का था जो कारवां
निगाहों का कसूर था
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
मझधार से जो लौट ते
तूफ़ान से यूँ न जूझते
दामन छुड़ा ने अश्क से
पलकों को यूँ न मूंदते
घेरे पे शक के हर दफा
आती नहीं तेरी वफ़ा
थी चाँद की तलाश जो
सितारों का कसूर था
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
तुझ से कोई शिकवा नहीं
जुदा हूँ पर मैं खफा नहीं
दो दिल जो भीगे थे कभी
फुहारों का कसूर था
लेखक: महाराणा गणेश
umda abhivyakti ! likte rahiye .
ReplyDeleteसुंदर रचना पर हिन्दी सही लिखने का प्रयास करें ।
ReplyDeleteभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है .आपके अनवरत लेखन के लिए मेरी शुभ कामनाएं ...
ReplyDeleteदो दील जो भीगे थे कभी
ReplyDeleteफुहारों का कसूर था
Acchi shuruaat. Swagat.
wah bahi wah! narayan narayan
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