Monday, August 8, 2016

महिला

है तुमसे हर घर सुंदर          

हर देश, हर जगह भी सुंदर

तुम हो जहाँ वह मंज़र

वह पल, वह हवा भी सुंदर


अंधेरों में तुम हो दिया जैसी

हताशा में तुम आशा जैसी

हो मन तुम्हारा भले कोमल

संकट में अटल शिला जैसी


है तुमसे हर बात सुंदर

ज़हन सुंदर जहाँ भी सुंदर

हाल और हालात कैसी भी हो

तुम यहाँ सुंदर वहाँ भी सुंदर


बहुमुखी प्रतिभा तुम्हारी

असीम तुम्हारी क्षमता

श्रम तुम्हारी योग्यता

धरम तुम्हारी दृढ़ता


है तुमसे हर शब्द सुंदर

शेर सुंदर नज़्म भी सुंदर

महाराणा की तुच्छ कविता तो सुंदर

ग़ालिब की हसीन ग़ज़ल भी सुंदर


मेरे मन के गगन में

किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...