जो देखता वह आईने से भी जलता हूँ
या तो मैं मचलने को डूबता हूँ
या शायद डूबने को मचलता हूँ
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...
No comments:
Post a Comment