Friday, December 9, 2011

खुद की मंज़ूरी से पहले तेरी पसंद देखें


बड़ी रफ़्तार आज पकड़ी उमंग देखें,

अपनी उन्मत्त ख्वाहिशों की तरंग देखे!

हम को मालूम नहीं है क्या अच्छा क्या बुरा,

खुद की मंज़ूरी से पहले तेरी पसंद देखें!
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BADI RAFTAAR AAJ PAKDI UMANG DEKHEN

APNI UNMAKT KHWAHISHON KI TARANG DEKHEN

HUM KO MALOOM NAHIN HAI KYA ACCHHA KYA BURA

KHUD KI MANJOORI SE PAHLE TERI PASAND DEKHEN


लेखक: महाराणा गणेश
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Sunday, December 4, 2011

तब भी मेरी निगाहें तुझ से नहीं हटती!


प्यार भी हैरान है कि मैं तुझे  इतना प्यार क्यूँ करता हूँ !
तू मेरे पास नहीं तो कैसे तुझ से रु-ब-रु होता हूँ !

     
महोब्बत की कसम कि तेरे मिलने से पहले ये आलम था !
महोब्बत क्या होती है यह मुझे नहीं मालूम था ?!


एक तेरा ही अरमान, एक तेरी ही आरजू, जुस्तजू !
                    बाकि जहां में मुझे कोई भी चीज़ नहीं जचती !
गर जहाँ तक मेरी नज़र जाये वह सब कुछ मेरा होता !
                   तब भी मेरी निगाहें तुझ से नहीं हटती !



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किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...