Tuesday, August 23, 2011

छुपी हो तुम इस तस्वीर में क्यूँ मगर?

न  जाने  क्यूँ  दिल  बुलाये  तुमको  बेसबर
छुपी  हो  तुम  इस  तस्वीर  में  क्यूँ मगर? 


सोचता  हूँ  क्या  कुछ  गुफ्तगू  हो सकती  है 
पर  जाने दो,  इस दीद  से  ही  जान  अटकी  है
                तो  क्या होगा  गर  तुम हो जाओ  रु-ब-रु
                बेहोशी  का  आलम  होगा, जान पड़ती  है
 

कहना  है कुछ पर, तुम बुरा  मान  जाओ अगर 
छुपी हो तुम इस तस्वीर में क्यूँ मगर?
 

न जाने क्यूँ दिल बुलाये तुमको बेसबर
छुपी हो तुम इस तस्वीर में क्यूँ मगर?

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Sunday, August 21, 2011

कैसी भी हालात में अपने दामन को साफ़ रखें!

खुद  के  अधिकारों  की  रक्षा  करने  की जज़्बात  रखें!

            सच्चाई  के लिए  हमेशा  सही  हाथों  में  हाथ  रखें!

भ्रष्टाचार  से  लढते हुए  चलो  आज  यह  कसम  खाए,
              
           कैसी  भी  हालात  में हम  अपने  दामन  को  साफ़  रखें!

KHUD KE ADHIKARON KI RAKSHA KARNE KI JAZBAAT RAKHEN!
SACHCHAI KE LIYE HAMESHA SAHI HATHO MEIN HAATH RAKHEN!
BHRASHTACHAR SE LADHTE HUYE CHALO AAJ YAH KASAM KHAYE,
KAISI BHI HALAAT MAIN HUM APNE DAAMAN KO SAAF RAKHEN!

Monday, August 15, 2011

एक ख्वाहिश जगी हुई है


कहीं  किसी  कोने  में  दिल  के 
एक  आस  सी  दबी  हुई  है 
एक हसरत  पूरी  हुई  तो 
एक ख्वाहिश  जगी  हुई है

ख्वाब  हकीक़त  बनने  को  है पर 
ज़ंजीर ज़रा सी तनी हुई है
एक हसरत पूरी हुई तो
एक ख्वाहिश जगी हुई है

मुश्किल  महज़ हवा  सी है
जहाँ  जाओ  वहाँ  रहती  है
उफान में हो तो हर नदी 
किनारे डुबो के बहती है

चोट  कभी  कभी होती  है अच्छी
दर्द  जीने  का एहसास दिलाता  है
ठेस  लगने  का नफा भी है 
दिल  संभलना  सीख  जाता  है

यह  रात  तो लम्बी  थी  थोड़ी 
पर  सुबह  ने  दस्तक  दी  हुई है
एक हसरत पूरी हुई तो
एक ख्वाहिश जगी हुई है

कहीं किसी कोने में दिल के
एक आस सी दबी हुई है
एक हसरत पूरी हुई तो
एक ख्वाहिश जगी हुई है

Wednesday, August 10, 2011

बस यह चाहता हूँ मैं


 मैं  अच्छा  नहीं  मैं  बुरा  नहीं
 मेरे  जाने  से  पहले  मुझे  तुम  सही  से समझ  लो 
 बस  यह  चाहता  हूँ  मैं

मेरे अच्छाइयों  को  न  तुम बुरा कहना 
मेरे बुराइयों  को न तुम अच्छा कहना

इन्ही  सब  से मेरी  यह पहचान  है 
इन  सब पे  मुझे बड़ा  मान  है

मुझे  थोडा  सा  ज्यादा  इज्ज़त  दो  तुम
मेरी  थोडा और  तारीफ  करो  तुम
कब  यह चाहता हूँ मैं

मैं अच्छा नहीं मैं बुरा नहीं
मेरे जाने से पहले मुझे तुम सही से समझ लो
बस यह चाहता हूँ मैं

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किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...