Friday, March 31, 2017

गम, तू मेरा हमदम

गम, तू मेरा हमदम

तू मुझे और सख़्त कर जा

मन के हर कण में

दर्द ही दर्द भर जा


आँसू आँखों में जो हो

छोड़ने को राज़ी ना पलके

जुदा ना हो तू दिलबर

दिल को यूँ हलका करके


तेरे साथ उठे जाम,

तेरे साथ ढले शाम

घाव जो बड़ा हो कोई,

तुझसे ही तो बने काम


गम, तू मेरा हमदम


किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...