उछाले जब तू
कदमों को हर्ष मे
अनुभव करूँ तेरा
अनुपम स्पर्श मैं
हालांकि तू
है उस पार मैं इस
पक्ष मे
अनुभव करूँ तेरा
अनुपम स्पर्श मैं
तेरा हर स्पर्श
मुझ मे एक
मोती को जनम
देता है
तेरे होने का
आभास मुझ मे
खुदा का भरम
देता है
वह एक क्षण
मैं इस दुनिया का नहीं रह जाता
तेरी माँ का
चेहरा भी बिजली सा चमक देता
है
शांति मिले मन
को संघर्ष मे
अनुभव करूँ तेरा
अनुपम स्पर्श मैं
उछाले जब तू
कदमों को हर्ष मे
अनुभव करूँ तेरा
अनुपम स्पर्श मैं
क्या मैं कहूँ कि
मैं खुद को
भूल जाता हूँ
या फिर यह कि
मैं होके भी
नहीं होता हूँ
शब्द भावनाओं का प्रतिबिंब बने तो कहूँ
मैं मुझमे
भी होता हूँ तुझमे भी होता हूँ
चोट ज्यूँ सहारा खोजे बर्फ
मे
अनुभव करूँ तेरा
अनुपम स्पर्श मैं
उछाले जब तू
कदमों को हर्ष मे
अनुभव करूँ तेरा
अनुपम स्पर्श मैं
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