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Saturday, December 27, 2014
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किसे सुनाऊं हाल दिल का
किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...
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मैं सोचता हूँ बिलकुल आप की तरह, मैं बोलता हूँ बिलकुल आप की तरह, मेरे सोच में आप ही की झांकी है, पापा मैं दिखता हूँ बिलकुल आप की तरह!...
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तुझ से कोई शिकवा नहीं जुदा हूँ पर मैं खफा नहीं दो दिल जो भीगे थे कभी फुहारों का कसूर था बेसब्र हालातों में जब बे -आबर...
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तुमसे इश्क़ हो गया है होता भी क्यूँ ना? घंटो तुम्हारे पास ही जो बैठा रहता हूँ कभी कुछ सोच कर मुस्कुराता हूँ कभी मायूस हो जाता हूँ मुझे पता ह...
Wash waah mashallah!!
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