फिर कभी न मिलने वाले थे
गर यह पता होता
उन दिनों शायद मैं
कुछ देर कम सोता
जब भी मैं तुझे छत पर देखता
मेरी राह ताकते हुए
जब भी तू हसती रहती थी
मेरी नकल करते हुए
जब भी तू नाचती थी
बेखबर मेरी मौजूदगी से
भनक ही से मेरी जब तू
भाग जाती थी रोशनी से
मेरे चेहरे के रंगत में
निखार ज़रूर कुछ ज्यादा होता
और उन दिनों शायद मैं
कुछ देर कम सोता
फिर कभी न मिलने वाले थे
गर यह पता होता
उन दिनों शायद मैं
कुछ देर कम सोता