Friday, April 8, 2011
Saturday, April 2, 2011
कुछ बात अनकही..
मैं तुझे दूर तक देखना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से मेरे पलकें गिरे नहीं
के आशुं कहीं कुछ ज़ज्बात बयां न कर दे
मैं तेरे करीब रहना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से दूर न जा सका
के फासले कहीं बिछड़ना आशान न कर दे
मैं तेरे बारे में सोचना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से देखा तेरा सपना
के तनहाई कहीं ज़िन्दगी वीरान न कर दे
मैं तुझ से यह सब छुपाना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से कुछ बता न पाया
के मेरा दर्द कहीं तुझे परेशान न कर दे
Tuesday, March 29, 2011
गर यह पता होता
फिर कभी न मिलने वाले थे
गर यह पता होता
उन दिनों शायद मैं
कुछ देर कम सोता
जब भी मैं तुझे छत पर देखता
मेरी राह ताकते हुए
जब भी तू हसती रहती थी
मेरी नकल करते हुए
जब भी तू नाचती थी
बेखबर मेरी मौजूदगी से
भनक ही से मेरी जब तू
भाग जाती थी रोशनी से
मेरे चेहरे के रंगत में
निखार ज़रूर कुछ ज्यादा होता
और उन दिनों शायद मैं
कुछ देर कम सोता
फिर कभी न मिलने वाले थे
गर यह पता होता
उन दिनों शायद मैं
कुछ देर कम सोता
Saturday, February 12, 2011
रात की पाली (Night Shift)
शाम का इंतज़ार नहीं रहता आज कल,
सुबह तुझ से मिलने को दिन मचलता है;
सूरज के उगते ही रात हो जाती है,
चाँद के साथ फिर दिन निकलता है!
सुबह तुझ से मिलने को दिन मचलता है;
सूरज के उगते ही रात हो जाती है,
चाँद के साथ फिर दिन निकलता है!
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें Monday, January 31, 2011
क्यूँ होना मायूस उस ज़िन्दगी से
क्यूँ होना मायूस उस ज़िन्दगी से;
जो खुद मायूस रहना चाहती है;
तुम ज़िन्दगी के सहारे जीना चाहते हो?
Saturday, January 15, 2011
बेशक याद है
देखा है कई बार सूरज को पीला पड़ते हुए,
देखा भी है तेरे चेहरे को गुलाबी रंग ओढ़ते हुए,
यह आलम है अब के याद नहीं श्याम होती की नहीं,
पर बेशक याद है कैसे तू रो पड़ती थी हसते हुए!
Thursday, November 4, 2010
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..?
खयालों में मेरी तू समाई हुयी है
बातों में यादों में छाई हुयी है
है तेरी ही खुशबू साँसों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
वजूद मेरे गीतों की तेरी वजह से
है मौसम खुशियों की तेरी वजह से
है तेरी ही जुस्तजू मन में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
जब भी मेरी मुझसे बात होती है
दिल और दिमाग में फसाद होती है
मेरे आँखों से गिरता हर एक आंशु
तेरे लिए मेरी ज़ज्बात होती है
हर उमंग में है तेरी ही गति
हर आशा में है तेरी स्वीकृति
है तेरे ही सपने आखों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – नहीं नहीं
मेरा सोचना तुझे मेरा खोजना तुझे
मेरे ख्यालों से मेरा जोड़ना तुझे
ज़माने को खटकती है मेरी पहेलियाँ
मेरे ख्वाबों में मेरा औधना तुझे
होता हूँ बेकरार रह कर तुझसे दूर
नज़रों से ओझल हो तू नहीं यह मंज़ूर
निगाहें मेरे ढूंढें तुझे यहाँ वहां
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – हाँ हाँ
बातों में यादों में छाई हुयी है
है तेरी ही खुशबू साँसों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
वजूद मेरे गीतों की तेरी वजह से
है मौसम खुशियों की तेरी वजह से
है तेरी ही जुस्तजू मन में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
जब भी मेरी मुझसे बात होती है
दिल और दिमाग में फसाद होती है
मेरे आँखों से गिरता हर एक आंशु
तेरे लिए मेरी ज़ज्बात होती है
हर उमंग में है तेरी ही गति
हर आशा में है तेरी स्वीकृति
है तेरे ही सपने आखों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – नहीं नहीं
मेरा सोचना तुझे मेरा खोजना तुझे
मेरे ख्यालों से मेरा जोड़ना तुझे
ज़माने को खटकती है मेरी पहेलियाँ
मेरे ख्वाबों में मेरा औधना तुझे
होता हूँ बेकरार रह कर तुझसे दूर
नज़रों से ओझल हो तू नहीं यह मंज़ूर
निगाहें मेरे ढूंढें तुझे यहाँ वहां
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – हाँ हाँ
लेखक: महाराणा गणेश
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पड़ोसी
आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
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देखा है कई बार सूरज को पीला पड़ते हुए, देखा भी है तेरे चेहरे को गुलाबी रंग ओढ़ते हुए, यह आलम है अब के याद नहीं श्याम होती की नहीं, प...
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आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
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लेखक: महाराणा गणेश मैं एक वट वृक्ष हूँ । कुछ लोग यहाँ मुझे बरगद भी कहते हैं । मेरी स्थिति समझने के लिए मेरे आस पास की स्थिति के बारे में जा...