Saturday, January 15, 2011

बेशक याद है

देखा है कई बार सूरज को पीला पड़ते हुए,
देखा भी है तेरे चेहरे को गुलाबी रंग ओढ़ते हुए,
यह आलम है अब के याद नहीं श्याम होती की नहीं,
पर बेशक याद है कैसे तू रो पड़ती थी हसते हुए!

3 comments:

  1. "PAR BESHAQ YAAD HAI KAISE TU RO PADTI THI HASTE HUYE"

    सुंदर - हिंदी में टाइप करें तो पढ़ने में आसानी होगी - शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  2. Sukriya Rakesh ji..

    Aap ke updesh ke anushar maine hindi me type kiya hai. Asha hai ab aap ko achha lage.

    ReplyDelete

किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...