देखा है कई बार सूरज को पीला पड़ते हुए,
देखा भी है तेरे चेहरे को गुलाबी रंग ओढ़ते हुए,
यह आलम है अब के याद नहीं श्याम होती की नहीं,
पर बेशक याद है कैसे तू रो पड़ती थी हसते हुए!
आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
v v nice
ReplyDelete"PAR BESHAQ YAAD HAI KAISE TU RO PADTI THI HASTE HUYE"
ReplyDeleteसुंदर - हिंदी में टाइप करें तो पढ़ने में आसानी होगी - शुभकामनाएं
Sukriya Rakesh ji..
ReplyDeleteAap ke updesh ke anushar maine hindi me type kiya hai. Asha hai ab aap ko achha lage.