मैं तुझे दूर तक देखना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से मेरे पलकें गिरे नहीं
के आशुं कहीं कुछ ज़ज्बात बयां न कर दे
मैं तेरे करीब रहना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से दूर न जा सका
के फासले कहीं बिछड़ना आशान न कर दे
मैं तेरे बारे में सोचना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से देखा तेरा सपना
के तनहाई कहीं ज़िन्दगी वीरान न कर दे
मैं तुझ से यह सब छुपाना नहीं चाहता था
वह तो इस डर से कुछ बता न पाया
के मेरा दर्द कहीं तुझे परेशान न कर दे
I wish u dun avoid that pretty gal 4 whom u hv composed the verses. I feel the soul must be like a dream so pure, so innocent yet so unrevealing!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete