शाम का इंतज़ार नहीं रहता आज कल,
सुबह तुझ से मिलने को दिन मचलता है;
सूरज के उगते ही रात हो जाती है,
चाँद के साथ फिर दिन निकलता है!
सुबह तुझ से मिलने को दिन मचलता है;
सूरज के उगते ही रात हो जाती है,
चाँद के साथ फिर दिन निकलता है!
लेखक: महाराणा गणेश
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