Saturday, December 27, 2014

प्रतिबद्ध हूँ

                                                        Image taken from Google

अज्ञानता का जो अंधकार है

                उसको मिटाने का एक सुविचार है

कुशलता का बीज जो बोऊँगा सदा    

                सक्षमता के फल मे रहेगा ना बाधा

सचेतना से दूरी से जो क्षुब्ध हूँ

उसको मिटाने मे प्रतिबद्ध हूँ, प्रतिबद्ध हूँ


मन की बात जो रह जाती है मन मे

                कभी ना काम आए किसी के जीवन मे           

कंटकता जो भरूं अपनी भावना मे

                सुदृष्टि ना रहेगी कभी कामना मे

अपने आप से लढ रहा जो युद्ध हूँ

अंत उसका करने को प्रतिबद्ध हूँ, प्रतिबद्ध हूँ


एक मानव सरल जो मुझ मे है

                वह बाकी बचपन जो मुझ में है

स्वप्न जो भी उसे देखने मैं दूं

                किसी को ना उसे रोकने मैं दूं

सादगी में सदा मैं उपलब्ध हूँ

इसकी प्रयास में प्रतिबद्ध हूँ, प्रतिबद्ध हूँ   



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किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...