Monday, October 22, 2018

यह चेहरा


मुझको मुझसे मिलाती है,
नये कुछ सपने दिखाती है
धुन कोई प्यारा सुनाती है
                        यह चेहरा

अंदाज़--सादगी सिखाती है
मुझमे आशिकी जगाती है
बिन कहे सब कह जाती है
यह चेहरा

कहना चाहता हूँ, पर रोकती है
चुप जो रहूं, तो टोकती है
दिल--दिमाग़ को झक झोरती है
यह चेहरा

आईना है सच दिखाती है
हसीन अफ़साने सुनाती है
ख्वाब में अक्सर आ जाती है
यह चेहरा

मुद्दत के बाद आती है
मुझे शायर बनाती है
महीनो औुझल हो जाती है
यह चेहरा

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पड़ोसी

आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था