Tuesday, January 6, 2015
Saturday, January 3, 2015
मलाल रह जाएगा अगर
थाम के उंगली मेरी तू चला है
मेरे कंधो की सवारी भी तुझे मिली है
जब जब गिरा तू उठाया है मैंने
भटका तू जब राह दिखाया है मैंने
है खुशी यह मुझको कि मैं तेरे सफ़र मे काम आया
मलाल रह जाएगा अगर तू मेरी उंगली ना छोड़ पाया
मैं अब हूँ पर मैं रहूँगा कब तक?
तेरे सवालों को हल मैं करूँगा कब तक?
मेरे बारे मे तेरा नज़रिया बदलेगा कब?
तेरी ज़िंदगी मे मेरा दखल रुकेगा कब?
मैं साथ हूँ पर अगर तू मेरा बन के रहा साया
मलाल रह जाएगा अगर तू मेरी उंगली ना छोड़ पाया
पल पल तू देखे क्यूँ मेरी ही ओर?
चलेगा कब तुझ पे खुद का ही ज़ोर?
यह सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा?
मेरे पास आके तू यूँ ही रोता रोहेगा?
मेरी सोहबत मे लग रहा तू खुद को ना खोज पाया
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पड़ोसी
आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
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