शाम किसी का है, भोर किसी का
जुवान किसी का है, बोल किसी का
बहुत शोर-शराबा है बाहर
ताल किसी का है, ढोल किसी का
जलती आग में सेक रहे है रोटी केइ
लूट किसी का है, मौज किसी का
जो खो गया है कौन है वह
हीरा किसी का है, मोल किसी का
वक़्त में क़ैद है खुलेगा कभी तो
राज़ किसी का है, पॉल किसी का
कयासों की होड़ सी लगी हुई है
पक्का किसी का है, डावांडोल किसी का
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