जब भी बुलाऊँ नदिया पार, चले
आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब
संसार, चले आना
मन के भीतर जब
तुम्हारा होगा संशय
कौने
कौने मे होगा तम
का आश्रय
छोड़ने
मुझ पे हर व्यापार,
चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
मित्र
तुम्हे जब कोई मिले
ना असमय मे
छोड़
अकेला जाए निकल जब
सब क्षय मे
देने
मुझे बस एक गुहार
चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
जब बैठी होगी तू
कहीं, यूँ ही कभी
वक़्त
काटने को जब तारें
गिनती कभी
सपने
मे सही पर इक
बार चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
ऐसा
भी तो होता होगा
जीवन में
उछलती
जाती होगी प्रीत कोई
क्षण मे
देने
मुझे वो स्नेह अंबार
चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
आज तो सुख है तुम को और रहे भी
चाहूँ छांव भी दुख की नहीं पड़े भी
कराने निम्नबोध प्रति बार चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
है तू भाग्यवती मैं नहीं अभागा
आज तो सुख है तुम को और रहे भी
चाहूँ छांव भी दुख की नहीं पड़े भी
कराने निम्नबोध प्रति बार चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
है तू भाग्यवती मैं नहीं अभागा
मिला मुझे भी सब कुछ जो भी माँगा
करने कभी विमर्श विचार चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
तब कैसा था आज यह सब है कैसा
नहीं रहा फिर जैसा था सब वैसा
स्मृति नभ में करने बिहार, चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
जब भी बुलाऊँ नदिया पार, चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
तब कैसा था आज यह सब है कैसा
नहीं रहा फिर जैसा था सब वैसा
स्मृति नभ में करने बिहार, चले आना
छोड़, 'प्रिये', ये सब संसार, चले आना
जब भी बुलाऊँ नदिया पार, चले आना
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