मेरे मन के गगन में जो सोच के ये तारें हैं
कुछ टिमटिमा के जल रहें, बुझ गये बाकी सारे हैं
अंदर अंदर से खोखले ऊपर ऊपर से प्यारे हैं
ज़रा कहीं उजाला है बाकी सब अँधियारे हैं
थके हुए, सोए से हैं, पर मन रखे सवारे हैं
नासमझ, नादान हैं, नाराज़, बिचारे हैं
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कुछ टिमटिमा के जल रहें, बुझ गये बाकी सारे हैं
अंदर अंदर से खोखले ऊपर ऊपर से प्यारे हैं
ज़रा कहीं उजाला है बाकी सब अँधियारे हैं
थके हुए, सोए से हैं, पर मन रखे सवारे हैं
नासमझ, नादान हैं, नाराज़, बिचारे हैं
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