एक बीज बोया थाखाद पानी मुहया थाकुछ कमी पर रह गयीबीज वृक्ष नहीं बन पाया थापुरानी भूल सुधारते हैंनया एक पौधा उगाते है चलो, देश नये से बनाते हैंईंट से ईंट जोड़ा थाजर्जर
दीवार तोड़ा थाबुनियाद कमज़ोर रह गयीमकान अधूरा पड़ा थाकुछ गज ज़मीन और खोदते हैंबुनियाद पक्की बनाते हैं चलो, देश नये से बनाते हैंलफ्ज़ से लफ्ज़ जोड़ा थापर शेर अधूरा पड़ा थाकाफिया मिलने की देरी थीअधूरी वह शायरी थीचंद
लफ्ज़ और जोड़ते हैंयह नज़्म गुनगुनाते है चलो, देश नये से बनाते हैंयह देश अभी तो युवा हैआगे बढ़ने की क्षुधा हैकुछ करने की जो ठानेंगेपूरा कर के ही मानेंगेबढ़ना आगे, नहीं रुकना हैछोटा
ना कोई भी सपना हैहर सपने को सजाते हैं चलो, देश नये से बनाते हैंनया एक पौधा उगते हैंबुनियाद पक्की बनाते हैंयह नज़्म गुनगुनाते हैंहर सपने को सजाते हैं चलो, देश नये से बनाते हैं
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पड़ोसी
आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
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मैं सोचता हूँ बिलकुल आप की तरह, मैं बोलता हूँ बिलकुल आप की तरह, मेरे सोच में आप ही की झांकी है, पापा मैं दिखता हूँ बिलकुल आप की तरह!...
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श्रृंगार स्वाद जब मिट्टी में दफ़न हुआ होगा, मीठे ने जब तीखे को समर्पण किया होगा हर पकवान ने तेरे लिए प्रार्थना किया होगा, ...
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देखा है कई बार सूरज को पीला पड़ते हुए, देखा भी है तेरे चेहरे को गुलाबी रंग ओढ़ते हुए, यह आलम है अब के याद नहीं श्याम होती की नहीं, प...
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