अपनी
किस्मत को शायद कोसते
होंगे
रास्तों
पर खड़े ये पेड़
क्या सोचते होंगे?
कभी
यहाँ उनके कुछ दोस्त
रहे होंगे
एक दूसरे से वे ढेर
बातें किए होंगे
मुद्दत
हो गयी जब से
वे बिछड़े होंगे
याद
होगी कैसे उनके हुए चिथ्डे होंगे
एक रास्ता गुज़रता है उस जगह से
अब
गाड़ियाँ गुज़रती है उस सतह से अब
गुज़रती गाड़ियों से क्या बोलते
होंगे?
रास्तों
पर खड़े ये पेड़
क्या सोचते होंगे?
गाड़ियों
से अक्सर धुआँ भी निकलता
है
धूल
उड़कर इन पेड़ों पर
चिपकता है
हरे
हरे पेड़ काला रंग
ओढ़ते हैं
गाड़ियों
के शॉरों से माहौल बनते
हैं
शॉरों
के बीच में चंद
ही पेड़ हैं
गिनती
में दो तीन या फिर
डेढ़ हैं
अकेले अपनी शाखाओं से ही बातें करते
होंगे
रास्तों
पर खड़े ये पेड़
क्या सोचते होंगे?
अपनी
किस्मत को शायद कोसते
होंगे
रास्तों
पर खड़े ये पेड़
क्या सोचते होंगे?
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