यह माना कि मुझे किसी ना किसी से मिलना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
मैं भटक रहा था यूँ ही किसी की तलाश में
कोई जो चल पड़े जीने को ज़िन्दगी मेरे साथ में
कोई जो समेट ले मेरे ख्वाब को अपने ख्वाब में
और फिर ज़िन्दगी को ऐसी हसीन गली में मुड़ना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
मिलने से पहले मैं तुमसे मिल चुका था
जुड़ने से पहले मैं तुम से जुड़ चुका था
तुम मेरी और मैं तुम्हारा बन चुका था
बस यह राज़ ही है जिसे धीरे धीरे खुलना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
जो तुम्हारा साथ ना होता, तो क्या होता
दुनिया में जो भी है, वह तो सब होता
पर बेशक मैं, मैं ना होता
मेरी शक्सियत को अंदाज़ तुम से मिलना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
यह माना कि मुझे किसी ना किसी से मिलना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
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