खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
और फिर ज़िन्दगी को ऐसी हसीन गली में मुड़ना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
यह माना कि मुझे किसी ना किसी से मिलना था
खुशनसीब हूँ, के यह रिश्ता तुम से जुड़ना था
किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...
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