प्यार भी हैरान है कि मैं तुझे इतना प्यार क्यूँ करता हूँ !
तू मेरे पास नहीं तो कैसे तुझ से रु-ब-रु होता हूँ !
महोब्बत की कसम कि तेरे मिलने से पहले ये आलम था !
महोब्बत क्या होती है यह मुझे नहीं मालूम था ?!
एक तेरा ही अरमान, एक तेरी ही आरजू, जुस्तजू !
बाकि जहां में मुझे कोई भी चीज़ नहीं जचती !
गर जहाँ तक मेरी नज़र जाये वह सब कुछ मेरा होता !
तब भी मेरी निगाहें तुझ से नहीं हटती !
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें
No comments:
Post a Comment