Monday, August 15, 2011

एक ख्वाहिश जगी हुई है


कहीं  किसी  कोने  में  दिल  के 
एक  आस  सी  दबी  हुई  है 
एक हसरत  पूरी  हुई  तो 
एक ख्वाहिश  जगी  हुई है

ख्वाब  हकीक़त  बनने  को  है पर 
ज़ंजीर ज़रा सी तनी हुई है
एक हसरत पूरी हुई तो
एक ख्वाहिश जगी हुई है

मुश्किल  महज़ हवा  सी है
जहाँ  जाओ  वहाँ  रहती  है
उफान में हो तो हर नदी 
किनारे डुबो के बहती है

चोट  कभी  कभी होती  है अच्छी
दर्द  जीने  का एहसास दिलाता  है
ठेस  लगने  का नफा भी है 
दिल  संभलना  सीख  जाता  है

यह  रात  तो लम्बी  थी  थोड़ी 
पर  सुबह  ने  दस्तक  दी  हुई है
एक हसरत पूरी हुई तो
एक ख्वाहिश जगी हुई है

कहीं किसी कोने में दिल के
एक आस सी दबी हुई है
एक हसरत पूरी हुई तो
एक ख्वाहिश जगी हुई है

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पड़ोसी

आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था