Saturday, February 12, 2011

रात की पाली (Night Shift)

शाम का इंतज़ार नहीं रहता आज कल,

सुबह तुझ से मिलने को दिन मचलता है;

सूरज के उगते ही रात हो जाती है,

चाँद के साथ फिर दिन निकलता है!


अपना अनुभव ज़रूर बतायें

पड़ोसी

आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था