Thursday, November 4, 2010

यहाँ तक आया है तो आगे भी जायेगा

थका हरा उदास जब बैठा अतीत के पुर्जे खोद करदो रास्ते नज़र आये हर गुज़रे हुए मोड़ पर है आज गर ये हालात तोचुने हुए रास्तों के वजह से
कुछ फ़ैसलों से नज़दीकियों के,कुछ से फासलों के वजह से क्या होता अगर यूँ होताक्या होता अगर त्यों होताबेहतर होता या बदतर होताया सबकुछ ज्यों का त्यों होता फ़ैसले से ही अगर होता है सब कुछतो देखा जाए एक को दूसरे से जोड़ करदेखा जब चलते वक़्त को थोड़ा रोक करदो रास्ते नज़र आये हर गुज़रे हुए मोड़ पर हक़ीक़त में लौटातो पर्दा मायूसी से हटादिल से एक आवाज़ सा आयाबोला क्यूँ खोदता है अतीत का साया मत सोच, क्या खोया क्या पायेगायहाँ तक आया है तो आगे भी जायेगायहाँ तक आया है तो आगे भी जायेगा


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पड़ोसी

आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था