खयालों में मेरी तू समाई हुयी है
बातों में यादों में छाई हुयी है
है तेरी ही खुशबू साँसों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
वजूद मेरे गीतों की तेरी वजह से
है मौसम खुशियों की तेरी वजह से
है तेरी ही जुस्तजू मन में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
जब भी मेरी मुझसे बात होती है
दिल और दिमाग में फसाद होती है
मेरे आँखों से गिरता हर एक आंशु
तेरे लिए मेरी ज़ज्बात होती है
हर उमंग में है तेरी ही गति
हर आशा में है तेरी स्वीकृति
है तेरे ही सपने आखों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – नहीं नहीं
मेरा सोचना तुझे मेरा खोजना तुझे
मेरे ख्यालों से मेरा जोड़ना तुझे
ज़माने को खटकती है मेरी पहेलियाँ
मेरे ख्वाबों में मेरा औधना तुझे
होता हूँ बेकरार रह कर तुझसे दूर
नज़रों से ओझल हो तू नहीं यह मंज़ूर
निगाहें मेरे ढूंढें तुझे यहाँ वहां
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – हाँ हाँ
बातों में यादों में छाई हुयी है
है तेरी ही खुशबू साँसों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
वजूद मेरे गीतों की तेरी वजह से
है मौसम खुशियों की तेरी वजह से
है तेरी ही जुस्तजू मन में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुम से ..? – नहीं नहीं
जब भी मेरी मुझसे बात होती है
दिल और दिमाग में फसाद होती है
मेरे आँखों से गिरता हर एक आंशु
तेरे लिए मेरी ज़ज्बात होती है
हर उमंग में है तेरी ही गति
हर आशा में है तेरी स्वीकृति
है तेरे ही सपने आखों में मेरे कहीं कहीं
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – नहीं नहीं
मेरा सोचना तुझे मेरा खोजना तुझे
मेरे ख्यालों से मेरा जोड़ना तुझे
ज़माने को खटकती है मेरी पहेलियाँ
मेरे ख्वाबों में मेरा औधना तुझे
होता हूँ बेकरार रह कर तुझसे दूर
नज़रों से ओझल हो तू नहीं यह मंज़ूर
निगाहें मेरे ढूंढें तुझे यहाँ वहां
तो क्या मुझे प्यार है तुमसे ..? – हाँ हाँ
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें