जो देखता वह आईने से भी जलता हूँ
या तो मैं मचलने को डूबता हूँ
या शायद डूबने को मचलता हूँ
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
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