Wednesday, October 13, 2010

राज़ दिल के खुलने को है

राज़ दिल के खुलने को है
कोई अपना सुनने को है
रोक कर नींद को है बेठे
आँखें सपने बुनने को है
राज़ दिल के खुलने को है
कोई अपना सुनने को है
है हया के कुछ तो परदे
गुंजाईश कुछ डर की भी है
कुछ इशारा मिल गया है
घूंघट थोड़ी सरकी तो है

मुद्दतों से जो गिरा था
पर्दा वह आज उठने को है
राज़ दिल के खुलने को है
कोई अपना सुनने को है


लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें

 

Tuesday, October 12, 2010

है ज़रूर कोई जादू सा इन आँखों में


है ज़रूर कोई जादू सा इन आँखों में

          जो देखता वह आईने से भी जलता हूँ

या तो मैं मचलने को डूबता हूँ

          या शायद डूबने को मचलता हूँ

अपना अनुभव ज़रूर बतायें

किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...