आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था
कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था
लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर
राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था
लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर
राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था
आग लगी थी, चारों और धुआँ धुआँ था कहाँ जाता, इधर खाई तो उधर कुआँ था लूटाके सब हसा मैं बैठ अंगारों पर राख पर बैठ पड़ोसी जो रो रहा था