Friday, August 3, 2018

बेटे, नहीं रोते


कहते थे बचपन में पापा, "बेटे, नहीं रोते
छोटी छोटी बातों से हिम्मत नहीं खोते

एक बार गिरने से अगर यूँ डर जाओगे
टूटे जो ख्वाब कोई, कैसे जोड़ पाओगे?
कंकर पत्थर अगर रोकने लगे रास्ता
उम्मीदों के चट्टानो से कैसे पार पाओगे?

चोटी हो मंज़िल तो बोझ निराशा के नहीं ढोते
छोटी छोटी  चोटों से थक कर नहीं सोते
बेटे, नहीं रोते

अंधेरा घना है तो क्या? रात है!
चाँद तारें सब जिसके साथ है
सुबह का आगाज़ सूरज करेगा ही
पर रात में भी अपनी ही बात है

उतार चढ़ाव ज़िंदगी को नहीं झक झोरते
हार मान हम हताशा के काँटे नहीं बौते
बेटे, नहीं रोते"

कहते थे बचपन में पापा

YouTube Channel

No comments:

Post a Comment

किसे सुनाऊं हाल दिल का

किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...