जब कभी तुम्हारी ज़मीर पर लोभ हावी हो जाये;
जब कभी तुम्हारे व्यवहार पर क्रोध हावी हो जाये;
समय रहते जागृत कर लो अपने ह्रदय के राम को,
इससे पहले के कोई रावन तुम पर भारी हो जाये!
लेखक: महाराणा गणेश
अपना अनुभव ज़रूर बतायें किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे पाले है...
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