किसे सुनाऊं हाल दिल का, सब के हैं ग़म अपने अपने
अपनी तरह से सभी यहाँ झेले सितम अपने अपने
माने सभी खुद ही के दर्द को प्यारा दुनिया मे
पाले हैं यूँ ही तरह तरह के सभी वहम अपने अपने
मौत आए तभी तो टूटे जिस्म से दर्द का नाता
हो मुमकिन तो मौत को भी सब दिखा दें ज़ख़्म अपने अपने
निकला था जानने ख़यालऔरों का मेरे होसलों के बारे मे
झट से निपट गया मैं यूँ की 'है ये करम अपने अपने'
ख़ास मर्ज़ को ख़ास दवा हो, मरहम भी तो हो ख़ास
बना ही लेते हैं फिर दवा मरहम हम अपने अपने